indian railways information
भारतीय रेलवे(wheel defects)
Technical specification
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रेल चक्का दोष :-
1]
फ्लैन्ज मैं दोष :]
फ्लैन्ज मैं निम्न दोष पाए
जाते हैं | :-
A) deep flange :- नए फ्लैन्ज की उचाई (गहराई) 28.5 mm होती है जब यह माप 32 से 35 mm (MG
to BG) हो जाए तो deep flange दोष पैदा हो जाता है इसकी माप फ्लैन्ज के टिप से
wheel thread पर 63.5-57 mm(BG TO MG) की दूरी पर मापा जाता है |
पहिए के इस दोष के कारण फिश
प्लेट के नट बोल्ट टूट सकते हैं व लाइन का जोड़ टूटकर गाड़ी गिर सकता है |
गेज का ABC तीनों सिरा ठीक बैठ जाए या A तथा C सिरा ठीक बैठ जाए और B सिर सही रूप से fit नहीं बैठे या light नजर आए तो यह समझा जाना चाहिए
की DEEP flange नामक दोष wheel मैं है
B) THIN FLANGE :- नए फ्लैन्ज की मोटाई 28.5 MM होती है यह मोटाई जब घटकर 16 MM या
इससे काम हो जाए तो THIN FLANGE नामक दोष चक्का मैं
आ जाता है इसकी माप फ्लैन्ज के टिप से लगभग 13 MM क दूरी पर
मापा जाता है (BG-MG दो स्थिति मैं) HIGH SPEED गाड़ियों (110KM/H या इससे अधिक) के लिए इसकी सीमा
22 MM है इस दोष के कारण फ्लैन्ज पतला होकर टूट जाता है जिसके कारण दुर्घटना की सांभबना बनी रहती है एवं ट्रैक बदलने मैं परेसानी का सामना करना पड़ सकता है |
C) SHARP FLANGE :- फ्लेंज का
ऊपरी हिस्सा गोलाकार होता है नए फ्लेंज में यह गोलाई 14.5 एमएम होती
है पहिए के चलने के कारण जब यह गोलाई 5 एमएम से कम हो जाती है तो शार्प फ्लेंज नामक दोष उत्पन्न हो जाता है इस
दोष के कारण फ्लेंज तीखा व धारदार हो जाता है एवं तंग रेल पर दुर्घटना की संभावना बनी रहती है
D) FALSE FLANGE OR HOLLOW TYRE:- जब
भील थ्रेड का बाहरी हिस्सा 5mm या
इससे ज्यादा घिस जाए तो स्थिति में FALSE FLANGE या HOLLOW TYRE कहा जाता
है इस दोष के कारण WHEEL RIM पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है FALSE FLANGE के
कारण रबड़ से ज्यादा आवाज होता है इस दोष के कारण भी दुर्घटना की संभावना बनी रहती
है इस दोष के कारण क्रॉसिंग के मुहाने पर अचानक ऊपर उठ जाने एवं नीचे गिरने की
क्रिया होती है |
D) FLANGE के जड़ का त्रिज्या कम होना या WARM ROOT:-
फ्लेंज के जड़ का त्रिज्या 14 एमएम होता है जब पहिया नया हो जब यह घिसकर 13mm रह जाता है तो इसे WARM ROOT कहते हैं |
2] THIN TYRE :- नए पहिये में टायर की
माप flange के विपरीत भाग पर RIM के ऊपर इसकी मोटाई 63.5 एमएम होती है लगातार चलने के कारण तथा ह्वील teeth पर चढ़ने के कारण इसकी मोटाई कम होने लगती है जब यह
मोटाई 25.4 एमएम से कम हो जाती है तो इस प्रकार के
पहिए को सर्विस से हटा देना चाहिए |
3]
FLAT TYRE :- यह दोस ब्रेक बाइंडिंग के कारण आता है जब पहीया में हम
तेजी से ब्रेक लगाते हैं तो पहिया की गोलाई घिसकर चपटी हो जाती है इसकी सीमा मालगाड़ी में 60
MM तथा कोच में 50 एमएम होती है
इस दोष के कारण चक्का चलने पर तेज आवाज करता है तथा गाड़ी के अन्य फिटिंग
लूज हो सकती है इस दोष के कारण रेल पर पड़ने वाला दवाव भी 4 गुना बढ़ जाता है इस दोष के कारण SPRING टूट सकती है तथा गाड़ी हॉट एक्शल भी हो सकती है इस दोस का निरीक्षण किया जाना चाहिए |
4)
SHELLED TRADE :- रेल चक्का के ट्रेड सतह से धातु के
टुकड़े टूटने को TRADE SELLING कहां जाता है
Fine thermal cheaks के बीच मेटल के
छोटे-छोटे टुकड़े हो तो सेलिंग होती है यदि सेलिंग मार्क्स 40 एमएम लंबा तथा 15 एमएम गहरा हो तो wheel को service से हटा कर reprofiling के लिए शॉप भेज देना चाहिए चेन स्लाइडिंग या
छोटे-छोटे sceed mark के साथ मुख्यता सेलिंग होती
है |
6) HEAT CHEEKS :- थर्मल क्रैक्स तथा HEAT CHEAKS के मध्य अंतर को पहचान आ जाना अनिवार्य है HEAT CHEAKS ट्रेड पर SUPER FACIAL CRACKS या BRAKING SURFACE के आस पास होने वाले क्रैक्स के रूप में देखा जा सकता है यह HEAT CHEAKS सामान्यतः थर्मल क्रैक से घने होते हैं नॉर्मल बाइंडिंग के कारण हिटिंग व कूलिंग चक्र की प्रक्रिया के तहत हिट सिक्स WHEEL TRADE पर आ जाते हैं ऐसे चक्के को सर्विस से हटाने की जरूरत नहीं होती है परंतु खतरनाक THERMAL CRACKS भिन्नता का निरीक्षण किया जाना अनिवार्य है
8) PLATE CRACKS :- इस दोष में wheel
की प्लेट क्रेक हो जाती है तथा
कभी-कभी wheel के ट्रेड तक पहुंच जाती है ऐसे wheel को सर्विस
सर्विस
से हटा देना चाहिए |
9)
SATTERED RIM :- wheel के trade
तथा flange
पर अगर fractured
sattered rim की पहचान
होती है तो इस तरह के भील को सर्विस से हटा देना चाहिए |
3 Comments
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ReplyDeleteread
Deleteread
ReplyDeleteHi